2022 में सर्वाधिक 2,25,620 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी
13 वर्षों में हुई रिकॉर्ड बढ़ोतरी, 135 देशों में बसे पूर्व भारतीय
देहरादून/काशीपुर। पिछले 13 वर्षों में भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती गई है और अब यह आंकड़ा 18.79 लाख तक पहुंच चुका है। वर्ष 2011 से 2023 के बीच कुल 18,79,699 भारतीयों ने स्वेच्छा से अपनी नागरिकता त्यागकर 135 देशों की नागरिकता अपनाई है। यह खुलासा उत्तराखंड के काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) को विदेश मंत्रालय की ओर से उपलब्ध कराई गई सूचना से हुआ है।
नदीम उद्दीन ने विदेश मंत्रालय से यह जानकारी मांगी थी कि वर्ष 2011 से अब तक कितने भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है। इसके उत्तर में विदेश मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी/अवर सचिव तरुण कुमार ने राज्यसभा में सांसद कपिल सिब्बल और डॉ. जोहान बिट्स द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर का इंटरनेट लिंक उपलब्ध कराया। लिंक से दस्तावेज डाउनलोड करने पर 13 वर्षों का विस्तृत डेटा सामने आया।
2022 और 2023 में सबसे अधिक नागरिकता छोड़ने के मामले सामने आए हैं। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2022 और 2023 नागरिकता त्यागने के मामले में सबसे अधिक रहे। 2022 में सर्वाधिक 2,25,620 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी, जो 13 वर्षों में सबसे बड़ा आंकड़ा है। 2023 में 2,16,219 लोगों ने भारतीय नागरिकता त्यागी, जो 2022 के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। वहीं कोविड काल वाले साल 2020 में सबसे कम 85,256 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी।
वर्षवार नागरिकता छोड़ने का पूरा ब्यौरा (2011-2023)
2011-1,22,819
2012- 1,20,923
2013- 1,31,405
2014- 1,29,328
2015- 1,31,489
2016- 1,41,603
2017- 1,33,049
2018- 1,34,561
2019- 1,44,017
2020- 85,256
2021- 1,63,370
2022- 2,25,620
2023- 2,16,219
135 देशों की नागरिकता अपनाई भारतीयों ने
विदेश मंत्रालय की सूचना के अनुसार, भारतीयों ने दुनिया के 135 देशों की नागरिकता ग्रहण की है। इसमें पड़ोसी देशों से लेकर विकसित और आर्थिक रूप से समृद्ध देशों तक शामिल हैं। बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इटली,जापान, सऊदी अरब, कतर, ओमान, तुर्की, इराक, ईरान, यमन, मलेशिया, मालदीव, केन्या, जम्बिया, कज़ाकस्तान, साउथ अफ्रीका व सूडान आदि की नागरिकता ली है।
नागरिकता छोड़ने का बढ़ता रुझान चिंता या अवसर?
विशेषज्ञों के अनुसार, बड़ी संख्या में भारतीयों का विदेशी नागरिकता अपनाना बेहतर अवसरों, शिक्षा, जीवनशैली और आर्थिक संभावनाओं की खोज से जुड़ा हुआ है। हालांकि यह भी एक तथ्य है कि लगातार बढ़ती यह संख्या देश में ‘ब्रेन ड्रेन’ और प्रतिभा पलायन को लेकर चिंताएं भी बढ़ाती है। नदीम उद्दीन का कहना है कि यह डेटा भारत में नागरिकता छोड़ने की बढ़ती प्रवृत्ति को स्पष्ट करता है, जिस पर सरकार और समाज दोनों को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।



