इस अवसर पर राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन में कांग्रेसजनों ने कहा कि लोकसभा एवं राज्यसभा में संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहे विपक्षी दलों के 143 सांसदों की अलोकतांत्रिक तरीके से की गई निलम्बन की कार्रवाई का उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस विरोध करते हुए इस कार्रवाई की कड़े शब्दों में निन्दा करती है।
विपक्ष की आवाज को सदन में सुना जाता है लेकिन आज भाजपा हिटलरशाही से देश की संसद को चलाना चाहती है।
आज मा० प्रदेश अध्यक्ष श्री @KaranMahara_INC जी के नेतृत्व में सांसदो के निलंबन के विरोध में प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा राजभवन घेराव किया गया।
इस दौरान कांग्रेस के कईं दिग्गज… pic.twitter.com/kZtUyh3rFF
— Uttarakhand Congress (@INCUttarakhand) December 22, 2023
लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्य सभा उपसभापति द्वारा लोकतंत्र के सभी मानकों एवं मापदण्डों पर कुठाराघात करते हुए अलोकतांत्रिकता का घिनौना चेहरा सबके सामने लाते हुए कांग्रेस पार्टी सहित सभी विपक्षी दलों के 143 सांसद, जो देश की जनता के हितों की रक्षा के लिए, उन्हंे जनता ने जो कर्तव्य निर्वहन की जिम्मेदारी दी है, उसके अनुसार सरकार से स्पष्टीकरण की मांग कर रहे थे, को संसद से निलम्बित कर दिया गया। यह भाजपा के फासीवादी एवं तानाशाही चरित्र का द्योतक ही नहीं अपितु स्वस्थ लोकतंत्र के भविष्य के लिए उचित नहीं है, जिसे लोकतंत्र में विश्वास रखने वाला कोई भी दल सहन नहीं करेगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का सदैव लोकतंत्र एवं लोकशाही में गहरा विश्वास रहा है और आज देश में लोकतंत्र के जितने भी स्तम्भ हैं, उनकी स्थापना में महात्मा गांधी से लेकर आज तक कंाग्रेस पार्टी का एक लंबा इतिहास रहा है। चुने हुए जन प्रतिनिधियों को उनके कर्तव्यों से विमुक्त करना लोकतंत्र के प्रति अपराध है।
असहमति के स्वरों को सुनना एवं स्वीकार करना स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है तथा भारतीय संसद लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा का सर्वोच्च मंच है। संसद एवं देश की सुरक्षा के लिए आवाज उठाने पर लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के उपसभापति द्वारा की गई यह कार्रवाई लोकतंत्र के लिए अच्छा संदेश नहीं है।
लोकतंत्र के इतिहास में काले अक्षरों में अंकित की जायेगी : Karan Mahara
चुने हुए सांसदों को संसद से बाहर करने की यह घटना लोकतंत्र के इतिहास में काले अक्षरों में अंकित की जायेगी। स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्परा में असहमति को भी सुनना पड़ता है तथा देश और जनता से जुडे हुए मुद्दों पर अगर लोकतंत्र के सर्वोच्च मन्दिर में चर्चा नहीं की जायेगी तो वे बतायें कि वे किस सदन में चर्चा करना चाहते हैं।
कांग्रेस पार्टी ने कहा कि सत्ता प्राप्ति के लिए जनता की संवेदनाओं का शोषण करने का भारतीय जनता पार्टी का लम्बा इतिहास रहा है। इस प्रकार का गिरगिटी चरित्र भारतीय जनता पार्टी की पहचान है और वे जब सत्ता में होते हैं तो उनके स्वयं के लिए अलग नैतिक मूल्य एवं कानून होते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण संसद प्रकरण में विजिटिंग पास जारी करने वाले भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं जिन पर संसद कांड के सम्बन्ध मे अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
कांग्रेसजनों ने कहा कि लोकसभा एवं राज्यसभा में गतिरोध बढाने के लिए भाजपा ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों के सांसदों के साथ जिस प्रकार की कार्रवाई की है वह भाजपा के तानाशाही रवैये को उजागर करती है।
लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा उपसभापति द्वारा की गई इस कार्रवाई का विश्व के लोकतांत्रिक देशों में अच्छा संदेश नहीं गया है तथा देश के बुद्धिजीवी वर्ग ने भी लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के उपसभापति के इस अलोकतांत्रिक कदम की सराहना नहीं की है। भारतीय जनता पार्टी विषेशकर गृहमंत्री अमित शाह को कांग्रेस पार्टी एवं विपक्षी दल के निलम्बित सांसदों से माफी मांगनी चाहिए तथा सरकार द्वारा संसद सुरक्षा में हुई चूक की जिम्मेदारी लेते हुए सभी सांसदों का निलम्बन वापस लिया जाना चाहिए।
कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति से मांग करते हुए कहा है कि राजनैतिक प्रतिशोध और द्वेष की भावना से प्रेरित होकर विपक्षी दल के सांसदों के खिलाफ की गई निलम्बन की कार्रवाई की कडे शब्दो में निन्दा करती है तथा देश के संवैधानिक संरक्षक होने के नाते आपसे इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए विपक्षी दल के सांसदों का निलम्बन शीघ्र वापस लिए जाने की मांग करती है।