ओम बिरला के कार्य व्यवहार उनके संवैधानिक पद की गरिमा के खिलाफ : माहरा

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा।

देहरादून। Om Birla’s behavior is against dignity of his constitutional post प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने नव निर्वाचित लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कार्य व्यवहार को उनके संवैधानिक पद की गरिमा के खिलाफ बताते हुए कहा कि ओम बिरला द्वारा लोकसभा अध्यक्ष निर्वाचित होते ही जिस प्रकार सदन में आपातकाल पर पार्टी विशेष के नेता की भांति भाषण दिया गया वह उनके पद की गरिमा के अनुरूप नहीं था।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि ओम बिरला पर उनके पिछले कार्यकाल में भी इसी प्रकार के आरोप लगे थे तथा उन्होंने सदन में जिस प्रकार बिना चर्चा कराये कई अध्यादेश पारित किये तथा विपक्षी दल के सदस्यों पर बड़ी संख्या में लोकतंत्र की परम्पराओं के विपरीत निलम्बन की कार्रवाई की गई वह उनके पद की गरिमा के अनुकूल नहीं कहा जा सकता है।

करन माहरा ने कहा कि आपातकाल को लोग उसी समय नकार चुके थे जब जनता पार्टी सरकार पतन के बाद इन्दिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला था। उन्होंने कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी और लोकसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक गरिमामयी पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा लोकतंत्र की दुहाई देकर आपातकाल के लिए कांग्रेस पार्टी को कोसना शोभा नहीं देता क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने सदैव ही डॉ0 भीमराव अम्बेडकर द्वारा बनाए गए देश के संविधान को बदलने की चेष्टा कर आरएसएस का संविधान थोपने की चेष्टा की है।

उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि वे सभी दलों एवं उनके सदस्यों के प्रति समानता का भाव रखेंगे, परन्तु ओम बिरला द्वारा लोकसभा अध्यक्ष चुने जाते ही जिस प्रकार का संकेत दिया है वह संवैधानिक पद की गरिमा तथा स्वस्थ लोकतंत्र की परम्पराओं के विपरीत है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक है जो किसी पार्टी विशेष से नहीं जुड़ा होता है परन्तु नव निर्वाचित लोकसभा अध्यक्ष ओम  बिरला  ने अपने पद की गरिमा के खिलाफ जाकर कांग्रेस पार्टी पर व्यकितगत हमले बोलते हुए लोकसभा के सदन में पहले ही दिन जिस प्रकार का व्यवहार किया है तथा वर्षों से चली आ रही परम्पराओ को तोड़ने का काम किया है वह संवैधानिक पद की गरिमा के खिलाफ है।

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष मथुरादत्त जोशी ने भी लोकसभा अध्यक्ष ओम  बिरला के व्यवहार को संवैधानिक गरिमा के विपरीत बताते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भारतीय संविधान में विश्वास नहीं है तथा जिस प्रकार उन्होंने चुनाव के समय संविधान को बदलने की बात कही उससे स्पष्ट हो गया है कि भाजपा सत्ता मद में इतनी चूर हो चुकी है कि वह लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों पर भरोसा नहीं करती है। उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम विरला का अभिभाषण भारतीय जनता पार्टी नेता के तौर पर जाना जायेगा न कि लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर।