- इस्लाम की हिफाजत व आपसी भाईचारे पर मजबूती से काम करेगी जमीअतः हुसैन
- जमीयत उलेमा-ए-हिंद उत्तराखंड की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आयोजित
- यूसीसी, जनगणना, प्रदेशव्यापी पौधारोपण अभियान व सामाजिक जिम्मेदारियों पर हुआ गंभीर मंथन
रुड़की/कलियर। उत्तराखंड की जमीअत उलेमा-ए-हिंद की प्रदेश कार्यकारिणी की एक महत्वपूर्ण और व्यापक बैठक गुरुवार को कलियर स्थित जमीअत के प्रदेश कार्यालय में संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता जमीअत के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना हुसैन अहमद क़ासमी ने की, जबकि इसमें प्रदेशभर से आए उलेमा, सामाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता और जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
बैठक में मौलाना हुसैन अहमद क़ासमी ने जनगणना को लेकर विशेष चिंता जताई और मुसलमानों से आग्रह किया कि जब भी जनगणना हो, धर्म के कॉलम में ‘इस्लाम’ और जाति के कॉलम में अपनी वास्तविक जाति का उल्लेख अवश्य करें। उन्होंने कहा, “दुनिया इस्लाम के चिराग को बुझाना चाहती है, लेकिन अल्लाह तआला अपने नूर की हिफाजत करने पर क़ादिर है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने दीन की सही नुमाइंदगी करें।”
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि जमीअत की कारगुज़ारियों को प्रकाशित कर आम जनता तक पहुंचाया जाए, ताकि संगठन की सेवा और मेहनत की पहचान हो। बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि जमीअत उलेमा ए हिंद केवल धार्मिक संगठन नहीं, बल्कि समाज के कानूनी, सामाजिक, और राष्ट्रीय मुद्दों पर सजग और सक्रिय इकाई है। इस बैठक के निर्णय आगामी समय में उत्तराखंड के मुस्लिम समाज को दिशा देने वाले साबित हो सकते हैं।
बैठक में मौलाना इलियास अहमद, मौलाना अनवर मजाहिरी, मौलाना अब्दुल मन्नान क़ासमी, पूर्व विधायक हाजी तस्लीम अहमद, मुफ्ति मौहम्मद ताजीम, मौहम्मद शाह नज़र, हाजी शमीम साबरी, मौलाना अब्दुल वाहिद, मौलाना अब्दुल वाजिद, मौलाना फुरकान, मौलाना अब्बास क़ासमी, मौलाना रिहान ग़नी, कारी आबिद, मास्टर अब्दुल सत्तार, मुफ्ती शेर आलम, मुफ्ती अयाज़ अहमद, कारी फरहान मलिक आदि मौजूद रहे।
यूसीसी पर चिंताः निकाह की हैसियत खत्म करने की साजिश
बैठक में यूसीसी (यूनिफॉर्म सिविल कोड) पर विशेष चर्चा हुई। जमीअत के प्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद यूसुफ और मुफ्ती तौफीक अहमद ने विस्तार से बताया कि किस प्रकार से यूसीसी के माध्यम से इस्लामी शरीयत और निकाह की धार्मिक हैसियत पर चोट की जा रही है।
उन्होंने कहा, “सरकार की और से विवाह पंजीकरण को अनिवार्य करने की कोशिश जल्दबाज़ी में की जा रही है, जबकि 14 जुलाई को इस पर उच्च न्यायालय में सुनवाई निर्धारित है।” मुस्लिम समुदाय से अपील की गई कि वे अभी विवाह पंजीकरण जैसे मामलों में सावधानी बरतें और संगठन की ओर से आने वाले निर्देशों का इंतज़ार करें।
हल्द्वानी फसादात और यूएपीए का मामला
बैठक में नैनीताल जिला अध्यक्ष मौलाना मुकीम अहमद क़ासमी ने हल्द्वानी दंगों और उसमें फंसे मुस्लिम युवाओं पर बात की। उन्होंने बताया कि दंगों के बाद 106 लोगों पर कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिनमें से 77 लोगों को रिहाई मिल चुकी है, लेकिन 22 लोग अब भी जेल में बंद हैं। उन्होंने बताया कि 30 जून को इस केस में अगली अहम सुनवाई होगी, जिसे लेकर जमीअत कानूनी स्तर पर प्रयासरत है।
यूसीसी से डरने की जरूरत नहींः मौलाना शराफ़त
जमीअत के प्रदेश महासचिव मौलाना शराफ़त अली क़ासमी ने कहा कि यूसीसी से डरने की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि देश का संविधान हर नागरिक को न्याय की गारंटी देता है और अगर सरकार जबरदस्ती कानून थोपने की कोशिश करे तो हमें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए।
उन्होंने सभी से अपील की कि वे जमीअत को मज़बूत करें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को सदस्यता अभियान से जोड़ें।
पौधारोपण व संगठनात्मक विस्तार को चलेगा अभियान
बैठक में यह प्रस्ताव भी पारित हुआ कि प्रदेश भर में कौमी यकजहती के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच भाईचारा मज़बूत हो सके। साथ ही जमीअत की और से प्रदेशव्यापी पौधारोपण अभियान भी चलाया जाएगा, जिससे पर्यावरण संतुलन के साथ सामाजिक सेवा का भी संदेश जाए।
वहीं, संगठनात्मक विस्तार को लेकर यह निर्णय लिया गया कि, गढ़वाल मंडल की जिम्मेदारी देहरादून और हरिद्वार इकाइयों को दी गई है। कुमाऊं क्षेत्र की जिम्मेदारी नैनीताल इकाई को सौंपी गई है। इन इकाइयों को अपने-अपने क्षेत्रों में जनसंपर्क, सामाजिक सेवा, सदस्यता अभियान और कानूनी सहायता की ज़िम्मेदारी निभानी होगी।