मनसा देवी हादसे पर जमीयत ने जताया गहरा दुःख

Jamiat expressed deep sorrow over the Mansa Devi accident

देहरादून। हरिद्वार के पावन मनसा देवी मंदिर में भगदड़ की दर्दनाक घटना ने पूरे उत्तराखंड को शोक और पीड़ा से भर दिया है। यह हादसा न केवल एक गहरी मानवीय त्रासदी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि तीर्थ स्थलों की सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण को लेकर सरकारी व्यवस्था कितनी असंवेदनशील और लापरवाह बनी हुई है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद, उत्तराखंड इस हादसे में मारे गए श्रद्धालुओं के परिवारों के प्रति गहरा दुख और संवेदना प्रकट करती है। जमीअत के प्रदेश महासचिव मौलाना शराफत अली कासमी की और से जारी शोक संदेश में कहा गया कि हमें यह जानकर भी अत्यंत दुख हुआ है कि इस हादसे में अब तक 7 श्रद्धालुओं की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है, जबकि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मृतकों की

संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। हम राज्य सरकार और प्रशासन से माँग करते हैं कि राहत और बचाव कार्यों में किसी प्रकार की कोताही न हो तथा घायलों को बेहतर से बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जाए। इसके साथ ही राजस्थान के झालावाड़ क्षेत्र में एक स्कूल की छत गिरने से हुई दुखद घटना पर भी जमीयत उलेमा-ए-हिंद, उत्तराखंड अपनी गहरी संवेदना प्रकट करती है। जमीयत के प्रदेश महासचिव मौलाना शराफत अली कासमी ने हादसे को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह लापरवाही से हुई त्रासदी भविष्य में बच्चों की जान की सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े करती है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद, उत्तराखंड हर पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। यह समय जाति, धर्म, या क्षेत्र की सीमाओं से ऊपर उठकर इंसानियत की सेवा और दुखी दिलों के मरहम बनने का है। हम दुआ करते हैं कि अल्लाह इस देश को हर तरह की आपदाओं से महफूज़ रखे और सबको अमन, चौन और हिफाजत नसीब करे। शोक प्रकट करने वालों में प्रदेश अध्यक्ष मौलाना हुसैन अहमद क़ासमी, प्रदेश उपाध्यक्ष व शहर क़ाज़ी देहरादून मौलाना मोहम्मद अहमद क़ासमी, प्रदेश मीडिया प्रभारी मोहम्मद शाह नज़र, जिला हरिद्वार अध्यक्ष मौलाना अब्दुल वहीद, देहरादून जिला अध्यक्ष मौलाना अब्दुल मन्नान क़ासमी, जिला महा सचिव हाफिज आबिद, मास्टर अब्दुल सत्तार, मौलाना रागिब मजाहिरी, शहर सदर मुफ्ती अयाज़ अहमद आदि शामिल रहे।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद, उत्तराखंड की राज्य सरकार से यह माँग है कि, हादसे की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच करवाई जाए। दोषी अधिकारियों को जल्द से जल्द जवाबदेह ठहराया जाए। पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा और सहयोग दिया जाए। धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण और आपदा प्रबंधन की व्यवस्थाओं को मजबूत किया जाए।