सैनिक के बेटे की इलाज के अभाव में मौत राज्य पर कलंक : माहरा

Soldier son dies due to lack of treatment

देहरादून। उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त पड़ी हैं और पहाड़ी जिलों में तो स्वास्थ्य का पूरा सिस्टम खुद वेंटिलेटर पर है। यह तीखा बयान गुरुवार को उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया।

माहरा ने चमोली के सुदूर गांव में रहने वाले सैनिक की पत्नी की पीड़ा का हवाला देते हुए कहा जिसका डेढ़ साल का बेटा चमोली से लेकर बागेश्वर के पांच अस्पतालों में भटकने के बाद इलाज के लिए तड़प तड़प कर मर गया सरकार उसकी वेदना को क्या जाने। उन्होंने कहा कि देश की रक्षा के लिए जम्मू कश्मीर में सीमा पर तैनात जवान के डेढ़ साल के बेटे को लेकर उसकी मां चमोली से लेकर बागेश्वर के पांच अस्पतालों में भटकी, मगर एक के बाद एक उसको हायर सेंटर के लिए रेफर किया जाता रहा और आखिर में हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के लिए एंबुलेंस का समय पर इंतजाम न होने के कारण बच्चे की मौत हो गई जो हमारे पूरे राज्य के लिए कलंक है।

माहरा ने कहा कि उत्तराखंड के नौजवान बड़ी संख्या में फौज में हैं और जब देश की रक्षा के लिए फौज में सेवा कर रहे नौजवानों को इस समाचार का पता चलेगा तो वे किस मनोयोग से देश की रक्षा और सेवा करेंगे। माहरा ने कहा कि एक तरफ तो धामी सरकार सैनिकों के कल्याण के लिए बड़ी बड़ी
घोषणाएं करती हैं।

दूसरी तरफ सीमा पर तैनात एक सैनिक के बच्चे की इलाज के अभाव में मौत हो जाती है इससे बड़ी शर्म की बात सरकार के लिए कुछ नहीं है। माहरा ने कहा कि आज राज्य में सरकार ने शिक्षा स्वास्थ्य जैसे जनता के मौलिक व आवश्यक जरूरतों के विषयों को त्याग कर अपना सारा ध्यान आबकारी व खनन के क्षेत्रों में केंद्रित कर दया है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में सरकार ने सारी स्वास्थ्य सेवाएं पीपीपी मोड के सहारे छोड़ी हुई है जिससे राज्य भर में स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त हो चुकी हैं।

जिला अस्पताल केवल रेफरल सेंटर बन कर रह गए हैं और वहां ना तो डॉक्टर हैं ना दवाएं और ध्वस्त पड़ी स्वास्थ्य सेवाएं पलायन का एक मुख्य कारण है। माहरा ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस ध्वस्त पड़ी स्वास्थ्य सेवाओं के खिलाफ लगातार मुखर रही है और आने वाले दिनों में पार्टी इस मुद्दे को विधानसभा में जोरदार तरीके से सरकार को घेरेगी।