अंकिता भंडारी हत्याकांड : फिर बोतल से बाहर आया वीआईपी ‘गट्टू’ का जिन

Ankita Bhandari murder case

देहरादून। उत्तराखंड की वादियों में ठंड बढ़ रही है, मगर सियासत का पारा अचानक उफान पर है। वजह है, अंकिता भंडारी हत्याकांड, जो एक बार फिर राज्य की राजनीति, सत्ता और न्याय व्यवस्था के सामने कठोर सवाल खड़े कर रहा है। इस बार वीआईपी के नाम का खुलासा खुद भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक सुरेश राठौर की कथित पत्नी उर्मिला ने किया है, जिसने फेसबुक लाइव आकर उस वीआईपी का नाम लिया, जिसका जिक्र इस हत्याकांड में शुरू से होता रहा, लेकिन जांच की फाइलों में कभी दर्ज नहीं हुआ।

महिला ने अपने वीडियो में कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में जिस वीआईपी के लिए उस पर दबाव बनाया जा रहा था, उसका नाम ‘गट्टू’ है और वह भाजपा का बड़ा नेता है। यह वही नाम है, जिसे लेकर लंबे समय से चर्चाएं थीं, मगर कभी आधिकारिक तौर पर सामने नहीं लाया गया। उर्मिला के वीडियो की गूंज दिल्ली तक सुनाई दी है।

इस वीडियो के वायरल होते ही उत्तराखंड कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया। दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भाजपा सरकार और जांच एजेंसियों पर तीखा हमला बोला। गोदियाल ने कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड की जांच शुरू से ही एक दिशा में मोड़ी गई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब शुरुआत से वीआईपी की चर्चा थी, तो जांच एजेंसियों ने उसका नाम सार्वजनिक क्यों नहीं किया?

गणेश गोदियाल ने आरोप लगाया कि धामी सरकार ने सत्ता की पूरी ताकत सच्चाई को दबाने और प्रभावशाली लोगों को बचाने में लगा दी। उन्होंने कहा कि अंकिता की हत्या के बाद सबसे पहले उसी कमरे पर बुलडोजर चलाया गया, जहां वह रहती थी। बिस्तरों को जलाने की कोशिश की गई, अधजले सबूत स्विमिंग पूल में फेंके गए। यह सब क्या थाकृलापरवाही या सबूत मिटाने की सुनियोजित साजिश?

गोदियाल ने कहा कि बनाई गई एसआईटी का काम अंकिता को न्याय दिलाना नहीं, बल्कि गवाहों को डराना और आरोपियों को बचाना बन गया। अब जब भाजपा से जुड़े लोगों के नाम खुद सामने आ रहे हैं, तो पूरी सरकार खामोश क्यों है? कांग्रेस ने मांग की कि मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में सीबीआई से कराई जाए। चेतावनी दी गई कि यदि 10-12 दिनों में कार्रवाई नहीं हुई, तो राज्यव्यापी आंदोलन होगा।

देहरादून में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मुद्दे को सिर्फ एक हत्याकांड नहीं, बल्कि “उत्तराखंड के स्वाभिमान की हत्या” करार दिया। उन्होंने कहा कि जिस दिन रिजॉर्ट पर बुलडोजर चला, उस दिन सिर्फ एक इमारत नहीं टूटी, बल्कि उत्तराखंड की आत्मा को कुचला गया। हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस शुरू से पूछती रहीकृवीआईपी कौन है? अब जब नाम सामने आ रहा है और भाजपा के लोग ही ‘गट्टू’ का जिक्र कर रहे हैं, तो सच्चाई से भागा क्यों जा रहा है? उन्होंने आरोप लगाया कि अंकिता पर वीआईपी को ‘स्पेशल सर्विस’ देने का दबाव बनाया जा रहा था और उसके इनकार की कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड दौरों का भी जिक्र किया। कहा गया कि जब भी प्रधानमंत्री राज्य आते हैं, बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन अंकिता को न्याय दिलाने की दिशा में ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए? अगर सच में बेटियों के प्रति संवेदना है, तो इस मामले में शामिल हर प्रभावशाली व्यक्ति की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?

कांग्रेस ने साफ चेतावनी दी है कि अगर अगले 10दृ12 दिनों में अंकिता भंडारी हत्याकांड की सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में सीबीआई जांच नहीं कराई गई, तो राज्यभर में बड़ा आंदोलन और धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।

अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने की लड़ाई में कई चेहरे बदले, कई बयान आए, कई जांचें हुईं, लेकिन वीआईपी का नाम हमेशा परदे के पीछे रहा। अब जब वही नाम सार्वजनिक मंच पर लिया जा रहा है, तो सवाल और भी गहरे हो गए हैं। क्या जांच एजेंसियों ने जानबूझकर उस नाम को छुपाया? क्या सत्ता के दबाव में सच्चाई को दबाया गया? आज उत्तराखंड की जनता यही पूछ रही है, क्या अंकिता भंडारी को अब इंसाफ मिलेगा, या यह मामला भी फाइलों और बयानों के बोझ तले दबा दिया जाएगा? यह सिर्फ एक बेटी की हत्या का मामला नहीं, बल्कि व्यवस्था की उस परीक्षा का क्षण है, जहां न्याय को ताकत के सामने झुकना नहीं चाहिए।

सितंबर 2022
पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीकोट डोभ गांव की रहने वाली 19 वर्षीय अंकिता भंडारी यमकेश्वर ब्लॉक स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत थीं। रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य था, जिसके पिता भाजपा सरकार में राज्य मंत्री रह चुके थे।
18 सितंबर 2022
अंकिता भंडारी अचानक रिजॉर्ट से लापता हो गई। इसके बाद रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। आरोप लगे कि यह रिपोर्ट परिजनों और पुलिस को गुमराह करने के लिए दर्ज कराई गई थी।
18-23 सितंबर 2022
अंकिता की तलाश चलती रही। इसी दौरान यह बात सामने आई कि अंकिता पर रिजॉर्ट में आने वाले एक “वीआईपी” के लिए विशेष सेवा देने का दबाव बनाया जा रहा था, जिसे उसने साफ इनकार कर दिया था।
23-24 सितंबर 2022
जांच के बीच वनंत्रा रिजॉर्ट पर बुलडोजर चलाया गया। सबसे पहले उस कमरे को तोड़ा गया, जिसमें अंकिता रहती थी। आरोप लगे कि बिस्तरों को जलाने की कोशिश की गई और अधजले सबूतों को स्विमिंग पूल में फेंक दिया गया। इस कार्रवाई ने जांच की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े किए।
24 सितंबर 2022
अंकिता भंडारी का शव चीला नहर से बरामद हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण डूबना बताया गया। पूरे उत्तराखंड में भारी जनाक्रोश फैल गया।
25-26 सितंबर 2022
पुलिस ने रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, उसके कर्मचारी अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर को गिरफ्तार किया। आरोप लगा कि तीनों ने मिलकर अंकिता को चीला नहर में धक्का दिया था।
सितंबर-अक्टूबर 2022
देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए। भाजपा ने दबाव में आकर पुलकित आर्य और उसके पिता को पार्टी से निष्कासित किया। सरकार ने एसआईटी गठित की, लेकिन शुरू से ही इस जांच पर सवाल उठते रहे।
2023-2024
मामला अदालत में चला। कांग्रेस और सामाजिक संगठनों ने लगातार मांग की कि वीआईपी का नाम सार्वजनिक किया जाए और सीबीआई जांच कराई जाए, लेकिन सरकार ने इन मांगों को खारिज किया।
2024 के अंत में
कोटद्वार एडीजे कोर्ट ने पुलकित आर्य, अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर को दोषी करार देते हुए तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई। हालांकि वीआईपी एंगल पर कोई ठोस जवाब सामने नहीं आया।
2025 (हालिया घटनाक्रम)
भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक सुरेश राठौर की कथित पत्नी फेसबुक लाइव पर सामने आईं। उन्होंने दावा किया कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में जिस वीआईपी का जिक्र था, उसका नाम ‘गट्टू’ है और वह भाजपा का बड़ा नेता है। महिला ने ऑडियो रिकॉर्डिंग होने का भी दावा किया।

  • जब शुरुआत से वीआईपी की बात सामने आ रही थी, तो उसका नाम जांच में क्यों नहीं जोड़ा गया?
  • क्या सबूत मिटाने की कार्रवाई सत्ता के दबाव में हुई?
  • क्या अंकिता भंडारी को अब भी पूरा और निष्पक्ष न्याय मिल पाएगा?
  • यह घटनाक्रम सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं, बल्कि उस व्यवस्था पर सवाल है, जहां सच और सत्ता आमने-सामने खड़े हैं।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने कहा कि अंकिता हत्याकांड मे वीआईपी का राग अलापने वाली कांग्रेस समय पर सुबूत मांगने पर पीठ दिखा गयी। उन्होंने कहा कि मामले में अगर, कांग्रेस गंभीर होती तो अदालत मे साक्ष्यों के साथ बयान दे सकती थी। उस समय डीजीपी ने सार्वजनिक अपील की थी कि यदि किसी को वीआईपी के बारे में जानकारी है तो आए और बतायें। तब किसी ने नहीं बताया और न आज बता रहे हैं।

अंकिता पर अनावश्यक षड्यंत्र कर कांग्रेस उस बिटिया की आत्मा को अपमानित करने का भी काम कर रही है। वहीं अपुष्ट वायरल वीडियो को छेड़छाड़ वाला बताते हुए उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है, ऐसे में उसे राजनैतिक हथियार बनाने का प्रयास कांग्रेस कर रही है। जबकि जिस महिला का ऑडियो वायरल किया है उसके पिछले कृत्य और राजनैतिक षडयंत्र किसी से छिपा नहीं है। भट्ट ने कहा कि कड़ी जांच का ही नतीजा है कि आरोपी अभी तक बेल पर बाहर नही आ पाए।

अंकिता के परिवारजनों के मन के मुताबिक सरकारी वकील दिए और उनकी हर मांग को पूरा किया गया। कांग्रेस राजनीतिक स्टंटबाजों के चक्कर मे जिम्मेदार राजनैतिक दल की भूमिका का निर्वहन नही कर रही है। सरकार का प्रयास रहा कि अपराधियों को सख्त से सख़्त सजा मिले और ऐसी पैरवी की गई कि अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा हुई। उन्होंने कहा कि वीडियो मे जिनके बयान और ऑडियो का जिक्र कांग्रेस के नेता कर रहे हैं वो रोज अपने बयान,अपने झगड़े और फिर समझौता और बयान बदलने के लिए जाने जाते हैं।

भट्ट ने कहा कि कांग्रेस चुनाव से पहले वीआईपी के राग को अलाप कर अपनी नाकामयाबियों से ध्यान हटा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ही यह बताना चाहिए कि वीआईपी कौन है और उसने बयानबाजी के बजाय अदालत को जानकारी क्यों नही दी। अंकिता की असली अपराधी कांग्रेस ही है। जनता ने अंकिता कि लड़ाई लड़ने के लिए भाजपा को आशीर्वाद दिया है।

कांग्रेस को दुष्प्रचार की ढाल को आधार बनाकर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति से बाज आने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया और आरोपियों को 24 घंटे के भीतर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। मामले मे राजनीति करती रही कांग्रेस पहले भी इस पर मुँह की खा चुकी है और उसे फिर इसके लिए तैयार रहना होगा।

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