“डॉ निशंक के रचना संसार” ऑनलाइन वेबिनार का बना विश्व रिकॉर्ड

Dr. Nishank ke Rachna Sansar
सम्मान समारोह के दौरान डा. निशंक व अन्य।

Dr. Nishank ke Rachna Sansar

देहरादून/नई दिल्ली। Dr. Nishank ke Rachna Sansar वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन एवं हिमालय विरासत ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में डॉ निशंक के रचना संसार पर ऑनलाइन वेबीनार की निर्बाध श्रृंखला के लिए कीर्तिमान स्थापित होने पर सम्मान समारोह आयोजित किया गया।

साहित्य अकादमी सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय, भारी उद्योग मंत्री, भारत सरकार उपस्थित रहे। सम्मान कार्यक्रम की अध्यक्षता महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रजनीश कुमार जी, एवं विशिष्ट अतिथि के रुप में डॉ सुमित्रा कुकरेती प्रति कुलपति इग्नू, डॉ गोविंद प्रसाद अध्यक्ष एनबीटी, डॉ रमेश पाण्डेय पूर्व कुलपति लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय की उपस्थिति रही।

हिमालय विरासत ट्रस्ट एवं वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स का आभार प्रकट करते हुए डॉ निशंक ने कहा कि हिंदी भाषा हम सब को जोड़ती है। मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय ने बताया कि डॉ निशंक के साथ उन्होंने लंबे समय तक काम किया है। मंत्री जी ने कहा कि हालांकि डॉ निशंक गरीब परिवार से रहे हैं पर संस्कारों की दृष्टि से वे अत्यंत समृद्ध परिवार में पैदा हुए।

डॉ निशंक की सृजनात्मकता और संवेदनशीलता से पाठकों पर विशेष प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि डॉ निशंक हिमालय को जी रहे हैं। माननीय मंत्री डॉ महेंद्र पांडेय ने देश के शिक्षा मंत्री के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में डॉ निशंक के महत्वपूर्ण योगदान का स्मरण करते हुए उनका अभिनंदन किया।

साहित्य को ज्ञानवर्धक और प्रेरणाप्रद बताया

डॉ रमेश पांडे, डॉ गोविंद प्रसाद, डॉ सुमित्रा कुकरेती ने डॉ निशंक की बहुआयामी प्रतिभा का उल्लेख करते हुए साहित्य की विभिन्न  विधाओं में उनकी रचनाओं की बड़ी प्रशंसा की। डॉ कुकरेती ने डॉ निशंक के साहित्य को ज्ञानवर्धक और प्रेरणाप्रद बताया।

डॉ निशंक ने बताया कि वह बचपन से ही टूटे-फूटे शब्दों को अभिव्यक्त करते हुए सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहे हैं। डॉ निशंक ने बताया कि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने देश की आजादी के बाद साहित्य साधना को आगे ले जाने में सफलता पाई और उस दौरान कई कीर्तिमान भी टूटे हैं।

भारत के निर्माण के लिए आधारशिला के रूप में लागू की जा रही है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से डॉ निशंक ने हिंदी के साथ समस्त भारतीय भाषाओं को सशक्त करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। देश-विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में डोनेशन की पुस्तकों को शामिल करते हुए उन पर अध्ययन और अध्यापन कार्य किया जा रहा है।

आपकी पुस्तकों का तमिल, तेलुगु, उड़िया, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, उर्दू, फारसी, संस्कृत, डोगरी सहित अनेक  भारतीय भाषाओं  और अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, नेपाली, डच सहित अनेक  अभारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है । अब तक कई विद्वानों द्वारा आपके साहित्य पर लेखन कार्य किया जा चुका है। ज्ञातव्य है कि 30 से अधिक लोग  डॉ निशंक के साहित्य पर शोध कर चुके हैं या कर रहे हैं।

विशाल वट वृक्ष का रूप धारण कर चुका है

अपनी उत्कृष्ट साहित्य साधना के लिए डॉ निशंक को 15 से ज्यादा देशों में सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. निशंक का रचना संसार नामष् से 16 फरवरी 2021 को बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर एक अनवरत ऑनलाइन वेबिनार कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी । आज यह कार्यक्रम एक विशाल वट वृक्ष का रूप धारण कर चुका है।

अब तक इसके 60 एपिसोड सफलतापूर्वक प्रचारित हो चुके हैं। इसके अंतर्गत डॉ. निशंक के सोलह काव्य संग्रह चैदह काव्य संग्रह, चार व्यक्तित्व विकास, चार पर्यटन ग्रन्थ, दस यात्रा वृत्तांत, तीन जीवनी सहित अन्य कथेतर साहित्य की साठ पुस्तकों पर देश के लगभग सभी राज्यों के प्रसिद्ध साहित्यकारों, शिक्षाविदों एवं समीक्षकों द्वारा चर्चा की गई हैं।

ज्ञातव्य है कि अब तक किसी भी साहित्यकार पर अनवरत ढंग से 50 एपिसोड पूर्ण करना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। साहित्यकार डॉ. निशंक के इस उपलब्धि को देखते हुए विश्व की प्रतिष्ठित संस्था वर्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड ने इसको विश्व कीर्तिमान के रूप में ससमानित दर्ज किया है। कार्यक्रम का संयोजन डॉ बेचन कंडियाल ने किया और डॉ योगेंद्र नाथ अरुण श्रृंखला के संरक्षक रहे।

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