20 से 28 दिसंबर तक रेंजर्स ग्राउंड में लगेगा सहकारिता मेला

A cooperative fair will be held at Rangers Ground

देहरादून। कल शनिवार से आगामी 28 दिसंबर तक राजधानी के रेंजर्स ग्राउंड में सहकारिता मेले का आयोजन किया जाएगा। मेले को इस वर्ष “सहकारिता से शहरी ग्रामीण एकता” की थीम के साथ आम जनता के बीच लाया गया है। डीएम सविन बंसल द्वारा मेले के सफल आयोजन के लिए जिला स्तर पर मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है। समिति द्वारा मेले के सफल आयोजन को विभिन्न विभागों को उनके दायित्व सौंपे गए हैं, ताकि मेला सुव्यवस्थित एवं प्रभावी ढंग से आयोजित किया जा सके।

मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासंघ द्वारा वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किए जाने के उपलक्ष्य में उत्तराखंड सरकार के सहकारिता विभाग द्वारा राज्य के सभी जनपदों में थीम आधारित सहकारिता मेलों के आयोजन का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि इन मेलों के माध्यम से राज्य सरकार का उद्देश्य है कि सहकारिता की मूल भावना को स्थानीय स्तर पर साकार करना, राज्य की अर्थव्यवस्था में सहकारिता विभाग के योगदान को रेखांकित करना तथा सहकारिता से जुड़े सभी संस्थानों को एक साझा मंच प्रदान करना है।

सहकारिता मेले में विभिन्न विभागों, सहकारी समितियों एवं स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थानीय उत्पादों के आकर्षक एवं विशिष्ट स्टॉल लगाए जाएंगे। मेले में जनपद की सभी स्थानीय सहकारी समितियों, संस्थाओं, स्वयं सहायता समूहों, किसानों एवं काश्तकारों को प्रतिभाग के लिए आमंत्रित किया गया है।

मुख्य विकास अधिकारी अभिनव ने बताया कि मेले के दौरान प्रत्येक दिवस विषय विशेषज्ञों द्वारा पैनल चर्चाएं, तकनीकी सत्र, निर्यात परामर्श, उत्पाद पैकेजिंग एवं ब्रांडिंग, प्रशिक्षण सत्र, युवा उद्यमिता संवाद, स्टार्टअप एवं तकनीकी समाधान, किसान गोष्ठी, श्वेत क्रांति एवं दुग्ध क्रांति, डिजिटल साक्षरता, फूड स्टॉल, ई-कॉमर्स, वित्तीय समावेशन तथा महिला सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।

इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रतियोगिता, मनोरंजन, झूले एवं मेले में उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति को दर्शाते रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाएंगे, जो आगंतुकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहेंगे। सहकारिता मेला न केवल सहकारिता आंदोलन को नई दिशा देगा, बल्कि शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बीच आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक समन्वय को भी मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।