Ashok Kumar introduced his skillful ability
शादाब अली
देहरादून | Ashok Kumar introduced his skillful ability उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार द्वारा उत्तराखंड पुलिस टीम का बतौर पुलिस महानिदेशक नेतृत्व संभाले आज पूरे दो साल हो गए है।
वर्ष 2020 से आज 2022 के दो साल के कार्यकाल में उन्होंने कानून व्यवस्था बनाए रखने, शहर सुरक्षा, आपराधिक मामलों में लगाम, पुलिस द्वारा आम जनता की सहायता को कर्तव्य सहित मानवीय मूल्यों हर ओर की चुनैतियाँ में अपनी सक्षमता, काबिलियत, तार्किक सोच व दूरदृष्टि के बूते सफलता व सरहना हासिल की है, जिसमे उनकी सम्पूर्ण उत्तराखंड के काबिल पुलिस अधिकारियों व कर्मियों को बराबर का श्रेय जाता है।
आज से ठीक दो वर्ष पूर्व डीजी अपराध व कानून व्यवस्था का पदाभार संभालने के दौरान उनके नेतृत्व व पुलिस टीम की सुरक्षा व्यवस्था की जो परीक्षा कोरोना महामारी ने ली थी,उस महामारी ने पुनः 2021 में उनकी दक्षता की परीक्षा एक बार फिर ली, इस बार उनकी जिम्मेदारी अपनी पुलिस के प्रमुख सेनापति की थी जिनके कंधे समस्त प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था,कानून व्यवस्था सहित अपनी सुरक्षा दीवार बनाये अपनी टीम के स्वास्थ्य की थी।
प्रदेश में ऑक्सीजन सप्लाई की आपूर्ति, लावारिश शवो का दाह संस्कार, बीमारी को बिना संक्रमण फैलाव के अस्पताल में भर्ती, आम जनता को बिन परेशानी के रोजमर्रा के सामान के आपूर्ति में सफल कानून व्यवस्था,यातायात व्यवस्था,लॉक डाउन जैसी असंख्य चुनौतियों में उनके बेहतरीन नेतृत्व में उत्तराखंड तेज़ी से रिकवर करने वाला प्रदेश व महामारी में बेहतरीन लॉ एंड आर्डर निर्गत करने वाले सफल प्रदेशो में एक रहा।
अपनी लिखी पुस्तक में उन्होंने जिस ‘खाकी में इंसान’ की तस्वीर व उनका दर्द दिखाने का प्रयास किया है,उस खाकी की वेदना व जरूरतों को उन्होंने कर्तव्यपथ पर समझने के भरसक प्रयास किये,जो उनकी सरहनीय पहल में एक मानी जाती है।
उनके द्वारा कार्यभार ग्रहण करने के फौरन बाद ही अपने पुलिसकर्मियों के बीच जाकर उनसे उनकी समस्याओं की जानकारी प्राप्त करने, उनकी समस्याओं के हल को मुख्यालय स्तर पर निस्तारण,उनके परिवार को पुलिस परिवार का हिस्सा मान उपवा द्वारा रोजगार,ट्रेनिंग,प्रोत्साहन जैसे अवसर प्रदान किये गए।
उनके द्वारा लगातार ड्यूटी करते पुलिसकर्मियों के लिए साप्ताहिक आराम, एक से दूसरे ड्यूटी के बीच अंतराल में कर्मियों के आराम की जरूरत को समझ थाना व पुलिस लाईन परिसर में ही अच्छी सुख सुविधाओं से लैस आरामगृह बनाने के निर्णय उनके स्मार्ट,कर्मठ व मोटिवेटेड पुलिस टीम बनाने के संकल्प की दिशा में एक सफल उपलब्धि के रुप में गिनी गयी।
कार्यभार ग्रहण करने के दौरान उनकी प्राथमिकता रही कि आम जनता व खाकी के बीच की दूरी कम हो। पुलिस कर्मी जितनी संवेदनशीलता व निष्ठा के साथ आम जनता की शिकायतों के निस्तारण को कार्य करे उतना ही आम जनता पुलिस बल को मित्र रूप में देखे व खाकी के प्रति डर की छवि मन में उभारने के विपरीत खाकी की ‘मित्रता,सेवा व सुरक्षा’की छवि को देखे। इसके लिए उनके द्वारा स्वयं आम जनता के बीच जाकर पुलिस की छवि सुधारने के प्रयास किये गए।
इसके साथ ही फरियादियों को उचित समय मे न्याय प्रदान करने हेतु उनके द्वारा मुख्यालय स्तर पर शिकायत निस्तारण हेतु अधिकारियों को जिम्मेदारी सौपीं व स्वयं मासिक रूप से वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से पीड़ितों को न्याय दिलाने सहित न्यायसंगत कार्यवाही न करने वाले पुलिस अधिकारियों विवेचकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही व पद से बर्खास्त जैसे कड़े कदम उठा खाकी पर आम जनता के भरोसे को बनाये रखने को जरूरी कदम उठाये।
अशोक कुमार बतौर पुलिस महानिदेशक अपनी कमान संभालने को दिशा निर्देशों में जितने सख्त है उतना ही वह ग्राउंड जीरो पर कानून व्यवस्था का जायज़ा लेने व अपने कर्मियों को किसी भी परिस्थिति में अकेले न छोड़ने को अग्रिम मोर्चे पर डटे रहते है।
विष्णुगार्ड परियोजना के समय आयी आपदा में उनकी एसडीआरएफ व पुलिस टीम राहत व बचाव कार्यों में जितने घंटे त्वरित व मुस्तैद से कार्यस्थल पर डटी रही उतनी ही मुस्तैदी व सतर्कता से वह अपनी टीम की बैकबोन बन मौके ऑर्ड उपस्थित रहे। उनके सफल निरीक्षण में एसडीआरएफ व पुलिस टीम द्वारा सम्पूर्ण बचावकार्य किया गया।
लॉ एंड आर्डर मैनेजमेंट में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार जितने दक्ष माने जाते है उतना ही वह अपनी बात को लेकर स्पष्टवादी भी माने जाते है,इसका प्रत्यक्ष उदाहरण था अपने पुलिसकर्मियों को स्मार्ट पुलिस बनाने के विज़न को लेकर उनका सरकार के सम्मुख अपने विज़न को रखना जिसमें उनके द्वारा चीता पुलिस को नए दोपहिया वाहन, कैमरा, आधुनिक हथियार, ट्रेनिंग जैसे विषयों को सरकार से अवगत करवाया।
बदलती टेक्नोलॉजी में पुलिस व पुलिस की कार्यशैली भी आधुनिक हो इसके लिए उनके द्वारा अपर मुख्य सचिव स्तर पर पुलिस की कार्यवाही को ऑनलाइन करने जैसे विकल्प भी सुझाये गए है।
उत्तराखंड पुलिस के सबसे सफल अभियान में शुमार आपरेशन मुक्ति के बूते उन्होंने प्रदेश के हर जनपद में सक्रिय बाल भिक्षावृत्ति जैसे अपराध को खत्म करने को उन्होंने अपनी टीम संग अभियान चलाते हुए 5 हज़ार से ज़्यादा बच्चो को उनके परिजनों को सौंपा व भीख मांग रहे बच्चो को उनके माता पिता की काउन्सलिंग कर बच्चो को स्कूल में दाखिल करवाया।
जिसके लिए गृह मंत्रालय द्वारा उत्तराखंड पुलिस की इस पहल को अपनी किताब में जगह भी दी थी। पुलिस महानिदेशक द्वारा लगातार सुधारीकरण की दिशा में कार्य करते हुए अपनी टीम व अधिकारियों से समय दर समय बैठक लेते हुए सुधार, नए कानून पर चर्चा,महिलाओं व बच्चो के प्रति होने वाले अपराधों के प्रति जितना हो सके पुलिस कर्मियों में संवेदनशीलता लाने की दिशा में प्रयास किये जा रहे है।
उनके द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा सुझाये नए इम्प्लीमेंटेशन व आइडियाज पर विचार करते हुए जनपद में ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने,आम जनता से खुद को जोड़ने, आम जनता को पुलिस के साथ जोड़ने के अभियान को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य किये जा रहे है। उनका दो वर्ष का कार्यकाल नई नई चुनौतियों से घिरा रहा किन्तु उन्होंने उतनी ही दक्षता व काबिलियत से उनका मुहतोड़ जवाब दिया है।