देहरादून। विजिलेंस एसपी ने भ्रष्टाचारियों की कुंडली खंगालने का एक बडा ऑपरेशन चला रखा है और उन्होंने आम जनमानस को जागरूक करने का मिशन यह कहकर शुरू कर रखा है कि अगर कोई भी कर्मचारी या अधिकारी उनसे रिश्वत की मांग करे तो विजिलेंस को इसका सच बतायें। एक बार फिर विजिलेंस के शिकंजे में एक भ्रष्ट डॉक्टर उस समय फंस गया जब वह एक रिपोट बनाने की एवज में बीस हजार रूपये ले रहा था। विजिलेंस ने भ्रष्ट अफसर को जैसे ही गिरफ्तार किया तो उसके महकमे में एक खलबली मच गई और यह साफ हो गया कि भ्रष्टाचार करने वाला चाहे कोई भी हो वह अब विजिलेंस की रडार से नहीं बच पायेगा।
विजिलेंस एसपी को एक व्यक्ति ने सूचना दी कि हरिद्वार के रूडकी स्थित सिविल अस्पताल में मेडिकल अधिकारी के पद पर तैनात डाक्टर आभार सिंह सप्लीमेंट्री मेडिकल लीगल रिपोट बनाने के एवज में तीस हजार रूपये की मांग कर रहा है। एसपी प्रहलाद सिंह मीणा ने शिकायतकर्ता की इस शिकायत को गंभीरता से लिया और जब उन्होंने इसकी जांच कराई तो यह बात साफ हुई कि मेडिकल अधिकारी तीस हजार रूपये रिश्वत की मांग कर रहा है।
शिकायतकर्ता और सिविल अस्पताल में तैनात डॉक्टर आभास सिंह के बीच बीस हजार रूपये का सौदा तय हुआ और उसके बाद विजिलेंस ने रिश्वतखोर भ्रष्ट डॉक्टर आभास सिंह को रंगे हाथो पकडने के लिए अपना जाल बिछाया। बताया जा रहा है कि डॉक्टर आभास सिंह ने रिश्वत के पैसे लेने के लिए अपने सरकारी आवास को चुना और सुबह जब शिकायतकर्ता डॉक्टर के घर में रिश्वत के बीस हजार रूपये उसे देने के लिए गया तो उसने जैसे ही वह पैसे लिये तो विजिलेंस की टीम ने उसे रंगे हाथो गिरफ्तार कर लिया।
विजिलेंस की टीम ने रिश्वतखोर से पैसे बरामद किये और उसके बाद उसके हाथो को जब कैमिकल से धुलवाया गया तो उसमें नोटो पर लगे पाउडर का रंग आ गया जिसे विजिलेंस ने शीशी में भरा।
आज सुबह विजिलेंस ने मेडिकल अधिकारी को जिस तरह से जाल बिछाकर रंगे हाथो रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है उसे देखते हुए हैरानी हो रही है कि भ्रष्ट और रिश्वतखोर सरकार की तमाम चेतावनी के बावजूद भी नहीं डर रहे हैं और वह रिश्वत के पैसे अपने कार्यालय या घर पर लेने में भी कोई डर महसूस नहीं कर रहे हैं।
विजिलेंस ने अब डॉक्टर के आवास पर रैकी की और यह खंगालने का ऑपरेशन चलाया कि उसने अपने सरकारी कार्यकाल में क्या-क्या सम्पत्ति अर्जित कर रखी है। उत्तराखण्ड के अन्दर राज्य बनने के बाद से ही भ्रष्टाचारियों और रिश्वतखोरो के हौसले इतने बुलंद होते चले गये कि वह भ्रष्टाचार करते हुए कभी नहीं डरे और न ही वह किसी काम के एवज में किसी से पैसे लेते हुए भय महसूस कर रहे थे।
हैरानी वाली बात तो यह है कि विजिलेंस ने जब भी रिश्वतखोरो को रंगे हाथो को पकडने के लिए ऑपरेशन चलाया तो रिश्वतखोर अपने दफ्तर में ही रिश्वत लेता हुआ पकडा गया इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रिश्वतखोरो को सरकारों और सिस्टम का कोई भय कभी नहीं रहा? उत्तराखण्ड की आवाम के मन में हमेशा एक नाराजगी पनपी की उन्हें कुछ विभागों में अपने काम करने के एवज में रिश्वत देनी ही पडती थी क्योंकि बिना रिश्वत दिये उनका काम होता ही नहीं था।



