उत्तराखंड मूल के युवाओं के साथ छल कर रहा मत्स्य विभाग : करन माहरा

Fisheries department cheating with the youth
करन माहरा।

Fisheries department cheating with the youth

देहरादून। Fisheries department cheating with the youth उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने सरकार को आढे़ हाथों लिया। माहरा के अनुसार राज्य मत्स्य पालन विभाग ने 19 नवंबर को जलाशयों में मत्स्य शिकारमाही के ठेके हेतु ई निविदा मांगी।

उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड में मुख्य रूप से चार जलाशय धौंरा, बैगूल, नानकमत्ता हरिपुरा, टिहरी है जिसमें मत्स्य शिकारमाही के ठेके दिये जाते है। इस बार जो निविदा मांगी गई उसमें विभाग के द्वारा नई शर्त जोड़ दी गयी है जिसमें शर्त न0 4 के अनुसार एक वर्ष का केज अनुभव मांगा गया है जो किसी भी दृष्टि में न्याय संगत नही है।

माहरा ने कहा कि उत्तराखंड में ऐसे दो ही जलाशय है जहॉ 2016 में सरकार द्वारा केज कल्चर लगाया गया था, उसके बाद सिर्फ एक ही बार ठेका होने की वजह से एवं एक ही जलाशय में सुचारू रूप से ठेका पूरा किया गया।

माहरा ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार कि यह शर्त चुनिंदा एवं प्रदेश के बाहरी लोगों को ही फायदा पहुंचाने के लिए के मकसद से रखी गई है। माहरा ने कहा कि जब 2016 के बाद से एक व्यक्ति के अलावा किसी और को ठेका मिला ही नही तो ऐसे में उत्तराखंड में केज कल्चर का अनुभव किसी को कैसे होगा।

वहीं दूसरी ओर माहरा ने कहा कि उत्तराखण्ड के सभी ठेकेदारों को इस ठेके से वंचित रखने की सरकार की मंशा लग रही है। माहरा ने बताया कि उक्त शर्त सभी जलाशयों के लिये मांगी गई है जबकि कुछ जलाशय ऐसे हैं जहां केज कल्चर को लगाना नामुमकिन है क्योंकि केज के लिये न्यूनतम जल स्तर 8 फिट से ज्यादा होना चाहिए, परन्तु कुछ जलाशयों का जल स्तर अप्रैल माह के बाद 5 फिट से नीचे हो जाता है या सूख जाता है।

माहरा ने राज्य सरकार से बाहरी लोगों को फायदा पहुंचाने वाली इस एक वर्ष के अनुभव वाली शर्त को हटाने का आग्रह किया है ताकि उत्तराखंड मूल के ठेकेदारों को यहां के संशाधनों से लाभ मिलें।