Jan Sangharsh Morcha protest in Vikasnagar Tehsil Office
स्थानीय प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल को भेजा ज्ञापन
विकासनगर। Jan Sangharsh Morcha protest in Vikasnagar Tehsil Office जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में तहसील घेराव/ प्रदर्शन कर निजी आयुष महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों की फीस वृद्वि मामले में उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना कराने में नाकाम सरकार की बर्खास्तगी को लेकर राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी की गैरमौजूदगी में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी रविंद्र कुमार को सौंपा।
नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा अक्टूबर 2015 के द्वारा निजी आयुष महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की फीस वृद्धि की थी, जिसके तहत फीस को 80 हजार से बढ़ाकर 2.15 लाख तथा 73,600 से बढ़ाकर 1.10 लाख कर दिया था, जिसको मा. उच्च न्यायालय द्वारा जुलाई 2018 को अपास्त कर दिया गया था, जिसमें बढ़ी हुई फीस वापस देने के निर्देश दिए गए थे।
उक्त फैसले के खिलाफ सरकार/ अन्य द्वारा मा. उच्च न्यायालय में विशेष अपील योजित की, लेकिन उच्च न्यायालय की खण्डपीठ द्वारा अक्टूबर 2018 में अन्य द्वारा योजित विशेष अपील में पूर्ववर्ती आदेश (जुलाई 2018) को बरकरार रखा।
उच्च न्यायालय के निर्देश का अनुपालन कराए जाने को लेकर शासन द्वारा 02.11.18, 22.03.19, 23.04.19, 04.11.19, 22.11.19, 20.02.20, 31.01.20, 05.05.20 तथा 07.02.22 के द्वारा कुलसचिव, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय को पत्र प्रेषित कर अनुपालन सुनिश्चित कराए जाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन लगभग चार वर्ष से अधिक समय बीतने के उपरान्त भी कुलसचिव शासन के पत्रों पर कोई कार्यवाही नहीं करा सके, यहां तक की शासन को कोई आख्या तक उपलब्ध नहीं कराई गई और न ही शासन अपने आदेशों की अनुपालना कराने में कामयाब हो सका।
सरकार ने निजी आयुष महाविद्यालयों के मालिकों के आगे घुटने टेक दिए
वर्ष 2019 में विधानसभा में भी कार्यवाही का आश्वासन (57/2019) दिया गया था, लेकिन इसका भी अनुपालन नहीं हो पाया। मोर्चा द्वारा राजभवन से भी कार्यवाही की मांग की गई, लेकिन राजभवन के निर्देश भी निष्प्रभावी हो गये। नेगी ने कहा कि चार वर्ष तक शासन के पत्रों पर कार्यवाही न होना एवं सरकार का खामोश बैठना सरकार खामोश बैठना एक तरफ से यह दर्शाता है कि सरकार ने निजी आयुष महाविद्यालयों के मालिकों के आगे घुटने टेक दिए।
महत्वपूर्ण यह है कि जब प्रदेश में न्यायालय/शासन के आदेशों पर ही कार्यवाही नहीं हो पा रही है तो सरकार का क्या औचित्य रह जाता है! इस गंभीर संवैधानिक संकट के चलते राजभवन को सरकार की बर्खास्तगी की कार्यवाही करनी चाहिए|
घेराव/प्रदर्शन में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, विजयराम शर्मा, मौ0 असद, ओ0पी0 राणा,प्रवीण शर्मा, कल्पना बिष्ट, गयूर, नरेन्द्र तोमर, के.सी. चंदेल, विनोद गोस्वामी, इदरीश, रहवर अली, वीरेंद्र सिंह, सुशील भारद्वाज, अंकुर चौरसिया, इमरान, गफूर, जयन्त चौहान, मीनू श्रीवास्तव, नीरू त्यागी, मीनू कश्यप|
भीम सिंह बिष्ट, विनोद गोस्वामी, विक्रम पाल, गोविंद नेगी, दिनेश राणा, अमित कुमार, प्रवेश तोमर ,सायरा बानो, नीरज शर्मा, मनोज राय, चौ.मामराज, जयपाल सिंह, राजेंद्र कुमार, मुकेश पसबोला, अशोक गर्ग, किशन पासवान, नीरज कुमार, रूपचंद, जाबिर हसन, संतोष शर्मा, प्रमोद शर्मा, प्रदीप , निर्मला देवी, मुसव्विर अली, मदन कुमार, राजेश्वरी क्लार्क, सुनील कुमार, सुषमा आदि थे।
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