lobbying being done by private lawyers
करोड़ों लुटाने के बाद भी मिलती है शिकस्त
वकीलों की फीस, शराब आदि में खफा दिए ढाई करोड रुपए सिर्फ एक मामले में
महंगी शराब भी नहीं खोल पा रही वकीलों के दिमाग की बत्ती
विद्युत उत्पादन करने वाली कंपनियों पर वाटर टैक्स का है मामला
विकासनगर। lobbying being done by private lawyers जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सरकार द्वारा विद्युत उत्पादन करने वाली सरकारी व गैर सरकारी कंपनियों पर वर्ष 2016 से वाटर टैक्स अधिरोपित किया हुआ है, जिसके तहत एनएचपीसी, टीएचडीसी, अलकनंदा हाइड्रो व यूजेवीएनएल, भिलंगना पावर आदि कंपनियों से विभाग ने लगभग ₹2000 करोड़ लेना है|
सरकार द्वारा वर्ष 2012 में इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन एक्ट के तहत प्राइवेट/सरकारी जल विद्युत कंपनियों पर वाटर टैक्स लगाया गया था। यहां आयोजित एक पत्रकार वार्ता में नेगी ने कहा कि इन प्राइवेट व सरकारी कंपनियों द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर वाटर टैक्स समाप्त करने की गुहार लगाई, जिसको उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने दिनांक 12/02/21 को खारिज कर दिया।
उक्त के पश्चात इन प्राइवेट कंपनियों द्वारा मा. उच्च न्यायालय में स्पेशल अपील दायर की गई, जिस पर उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा 02/08/21 एवं 12/07/21 के द्वारा उक्त आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। यानी सरकार द्वारा की जाने वाली टैक्स वसूली पर रोक लगा दी गई।
लगभग ढाई करोड रुपए खत्म कर दिए
नेगी ने कहा कि सिंचाई विभाग द्वारा उक्त मामले की पैरवी हेतु उच्च न्यायालय में तैनात सरकारी वकीलों पर भरोसा करने के बजाए बहुत ही सुनियोजित तरीके से प्राइवेट वकीलों को आबद्ध (एंगेज) किया गया, लेकिन इसके बावजूद भी नतीजा ढाक के तीन पात।
सरकार को चाहिए कि उच्च कोटि के वकीलों की मा. उच्च न्यायालय में तैनाती हो, जिससे सरकार का पक्ष मजबूत रहे। नेगी ने कहा कि सिर्फ एक मामले में इन प्राइवेट वकीलों की फीस, होटल किराया, महंगी शराब, टैक्सी इत्यादि पर लगभग ढाई करोड रुपए खत्म कर दिए|
होटल किराए के रूप में 50 हजार रुपए प्रतिदिन के पैकेज के हिसाब से खर्च किए गए। मोर्चा शीघ्र ही प्राइवेट वकीलों पर हो रहे करोड़ों रुपए खर्च की फिजूलखर्ची को लेकर सरकार से वार्ता करेगा। पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विजय राम शर्मा व ओ.पी. राणा मौजूद थे।