रमजान में लाउडस्पीकर का प्रयोग कम से कम किया जाए : जमीयत

Minimize the use of loudspeakers

देहरादून। रमजान के पवित्र महीने को सुव्यवस्थित और सौहार्दपूर्ण ढंग से मनाने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद की एक महत्वपूर्ण बैठक मदरसा दार-ए-अरकम में जिला अध्यक्ष मौलाना अब्दुल मन्नान की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में लाउडस्पीकर के मानकों के अनुसार उपयोग करने, गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता तथा साफ-सफाई की व्यवस्था को दुरुस्त करने जैसे कई अहम फैसले लिए गए।

बैठक में चर्चा की गई कि रमजान के दौरान मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के प्रयोग को सरकारी दिशानिर्देशों और मानकों के अनुसार ही किया जाएगा। जमीयत के पदाधिकारियों ने कहा कि अजान और जरूरी धार्मिक घोषणाओं के अलावा लाउडस्पीकर का अनावश्यक उपयोग नहीं होगा, जिससे समाज में शांति और सौहार्द बना रहे। सभी मस्जिदों और मदरसों को यह निर्देश दिया गया कि वे स्थानीय प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए ध्वनि सीमा का ध्यान रखें, ताकि किसी भी समुदाय को कोई परेशानी न हो।

साथ ही मस्जिदों में जा कर इमामों को परेशान करने पर एतराज जताया गया, इस संबंध में डीएम से मुलाकात करने का फैसला लिया गया। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की इस बैठक में लिए गए फैसले रमजान के दौरान सामाजिक समरसता, धार्मिक नियमों के पालन और सेवा कार्यों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इन निर्णयों से न केवल धार्मिक गतिविधियां सुव्यवस्थित रहेंगी, बल्कि समाज में सौहार्द, सहयोग और आपसी भाईचारा भी मजबूत होगा।

रमजान को सही तरीके से मनाने के लिए ये फैसले न सिर्फ इस्लामिक मूल्यों को संरक्षित करेंगे, बल्कि समाज के हर वर्ग को लाभ पहुंचाएंगे। हम चाहते हैं कि रमजान का यह पवित्र महीना पूरी तरह शांति, सद्भाव और सेवा का महीना बने। लाउडस्पीकर के मानकों का पालन करना, गरीबों की मदद करना और साफ-सफाई रखना हमारा कर्तव्य है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद हमेशा समाज की भलाई के लिए काम करती रही है और आगे भी करती रहेगी।

रमजान को दान-पुण्य और जरूरतमंदों की मदद का महीना माना जाता है। इस संबंध में बैठक में फैसला लिया गया कि समाज के संपन्न लोग आगे आकर जकात (दान), फितरा और अन्य तरीकों से जरूरतमंदों की सहायता करेंगे। अस्पतालों, जेल आदि में जाकर जरूरतमंदों की सहायता की जाएगी। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि कोई भी गरीब व्यक्ति रमजान के दौरान भूखा न रहे और उसे आवश्यक वस्तुएं आसानी से उपलब्ध हो सकें।

इसके लिए जमीयत ने विशेष ‘रमजान राहत कोष’ बनाने की भी घोषणा की, जिसके तहत जरूरतमंदों को राशन, कपड़े और अन्य जरूरी चीजें उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अलावा, अनाथालयों और गरीब बस्तियों में इफ्तार कार्यक्रम आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी रमजान की खुशियों में शामिल हो सकें।

बैठक में साफ-सफाई को लेकर भी विशेष चर्चा की गई। तय किया गया कि मस्जिदों, मदरसों और सार्वजनिक स्थलों पर विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा। मस्जिदों में नमाज से पहले और बाद में सफाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। स्थानीय प्रशासन और नगर निगम से संपर्क कर गली-मोहल्लों और सार्वजनिक स्थलों की सफाई पर ध्यान देने की बात रखी जाएगी। लोगों को भी जागरूक किया जाएगा कि वे रमजान के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और किसी भी प्रकार का कूड़ा-करकट इधर-उधर न फेंकें।

बैठक में जमीयत के पदाधिकारियों ने रमजान के दौरान शांति, अनुशासन और आपसी भाईचारे को बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह महीना आत्मसंयम और इबादत का होता है, इसलिए हर व्यक्ति को संयम बरतना चाहिए और किसी भी प्रकार की अफवाहों या गलतफहमियों से बचना चाहिए। इस दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों पर इफ्तार और नमाज के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो, इसके लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर उचित व्यवस्थाएं की जाएंगी।

बैठक में निर्णय लिया गया कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और धर्म के सही ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाएगी। इसके तहत विभिन्न स्थानों पर बैठकों, सेमिनार और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस अभियान के तहत लोगों को बताया जाएगा कि रमजान का असली उद्देश्य सिर्फ उपवास रखना नहीं, बल्कि आत्मसंयम, परोपकार और समाज की भलाई के लिए कार्य करना भी है।