हिंसा व पथराव करने वालों को संरक्षण न दे सरकारः विपक्षी दल
देहरादून। उत्तरकाशी में हुई हिंसा के बाद विपक्षी दलों एवं जन संगठनों ने आरोप लगाया कि राज्य में चंद लोग और कुछ संगठन लगातार हिंसा और नफरत फैला रहे हैं। इन चंद लोगों ने नफरती भाषण दिए। पथराव किया और दूसरे समुदाय के लोगों को भगाया। इनपर न दंगाई विरोधी कानून लगाया जाता है और न ही आपराधिक कानूनों के सही धाराएं। पुलिस पर पथराव करने वालों पर भी मामूली धाराओं में मामला दर्ज किया जाता है, वही, हल्द्वानी में इस प्रकार की घटना के बाद वहा 106 लोगों पर यूएपीए के तहत मुदकमा दर्ज किया गया था।
उत्तरकाशी के अलावा सिर्फ बीते दो महीनों के अंदर ऐसी घटनाएं कीर्तिनगर, देहरादून, नंदनगर, थराली, मसूरी, बेरीनाग, गौचर और अन्य जगहों में सामने आई है। सत्ताधारी दल इन सारी बातों को नज़र अंदाज़ कर चंद कथित घटनाओं को धार्मिक रंग दे कर, बेबुनियाद उनको किसी प्रकार का “जिहाद” का नाम दे कर, एक साजिश के तौर पर दिखाने की कोशिश कर रही है। इस माहौल में भी कई पुलिस और प्रशानिक अधिकारियों ने अपने स्तर पर निष्पक्षता के साथ कार्यवाही की हैं जो सराहनीय है।
डीएम दून कार्यालय को सौंपे गए ज्ञापन में मांग उठाई गई कि सरकार ज़िम्मेदार व्यक्तियों को संरक्षण देना तुरंत बंद करे। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार, हिंसक घटनाओं के लिए हर ज़िम्मेदार व्यक्ति एवं संगठन पर सख्त कार्यवाही हो, जहां पर लोगों को खाली करने की धमकी दी गई है, वहां पर प्रभावित लोगों को सुरक्षा दी जाए। 2018 के उच्चतम न्यायलय के फैसलों के अनुसार राज्य भर में भीड़ की हिंसा और नफरती भाषणों को रोकने की व्यवस्था बनाई जाए।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर ब्लॉक पर “वन स्टॉप सेंटर” खोला जाए और राज्य के असली मुद्दे, जैसे वन अधिकार कानून, भू कानून, शहरों में गरीबों को घर एवं हक मिले, कल्याणकारी योजनाओं में सुधार, और रोज़गार के लिए युद्धस्तर पर कदम उठा जाए। रामनगर, चमियाला, उत्तरकाशी, टिहरी, मुनस्यारी, नैनीताल, गरुड़, देहरादून, जोशीमठ, कर्णप्रयाग में भी विरोध प्रदर्शन हुए हैं। शनिवार को हरिद्वार और उधम सिंह नगर में होने वाले हैं।
देहरादून में इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष पूरन सिंह रावत, महानगर अध्यक्ष जसविंदर गोगी, याकूब सिद्दीकी और अन्य कार्यकर्ता, सपा के राष्ट्रीय सचिव डॉ. सचान एवं अतुल शर्मा, उमा सिसोदिया व समर भंडारी, उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत व निर्मला बिष्ट, उत्तराखंड इंसानियत मंच के त्रिलोचन भट्ट, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, राजेंद्र शाह, मुन्ना कुमार, अरुण, और रहमत व स्वाति नेगी शामिल रहे।