त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव : हाईकोर्ट जाएगा पंचायती राज विभाग

Panchayati Raj department will go to High Court

देहरादून। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। नैनीताल हाईकोर्ट में आरक्षण को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरक्षण नियमावली का नोटिफिकेशन जारी नहीं होने पर पंचायत चुनावों पर रोक लगा दी है। इस मामले पर पंचायती राज विभाग सोमवार को गजट नोटिफिकेशन जारी करेगा।

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी की जा चुकी है। यानी कि प्रदेश में पंचायत चुनाव की आचार संहिता लगी हुई है। लेकिन इसी बीच नैनीताल हाईकोर्ट में पंचायती राज विभाग द्वारा जारी आरक्षण रोस्टर पर आपत्ति दर्ज करते हुए चार याचिकाकर्ताओं ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की। जिस पर सुनवाई करने के बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने आरक्षण की इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी।

कोर्ट ने कहा कि आरक्षण को लेकर सरकार द्वारा गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। इसलिए पंचायत चुनाव के आरक्षण को कोर्ट ने स्टे कर दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। हालांकि इस मामले पर पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव का कहना है कि कोर्ट ने गजट नोटिफिकेशन ना होने के चलते आरक्षण पर स्टे लगाया है। लेकिन विभाग आज ही रुड़की प्रेस से गजट नोटिफिकेशन जारी करने की प्रक्रिया करेगा और 24 जून को इस स्टे को नैनीताल हाईकोर्ट से खारिज करवाएगा।

इस पूरे मामले पर राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार का कहना है कि इस मामले पर अभी राज्य निर्वाचन आयोग को कोई आदेश हाईकोर्ट से प्राप्त नहीं हुआ है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा हाईकोर्ट में मौजूद अपने अधिवक्ता से इस आदेश की कॉपी तत्काल उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि जैसे ही आदेश की कॉपी प्राप्त होती है, आदेश की भाषा का अध्ययन किया जाएगा।

वहीं इसके अलावा आदेश की सीमाएं क्या हैं ? क्या यह चुनाव पर प्रभाव डाल रही है। इसको भी देखा किया जाएगा। इस तरह से आदेश का अध्ययन करके आगे की प्रक्रिया का फैसला किया जाएगा। इस पूरे मामले पर राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार का कहना है कि इस मामले पर अभी राज्य निर्वाचन आयोग को कोई आदेश हाईकोर्ट से प्राप्त नहीं हुआ है।

राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा हाईकोर्ट में मौजूद अपने अधिवक्ता से इस आदेश की कॉपी तत्काल उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि जैसे ही आदेश की कॉपी प्राप्त होती है, आदेश की भाषा का अध्ययन किया जाएगा। वहीं इसके अलावा आदेश की सीमाएं क्या हैं। क्या यह चुनाव पर प्रभाव डाल रही है। इसको भी देखा जाएगा। इस तरह से आदेश का अध्ययन करके आगे की प्रक्रिया का फैसला किया जाएगा।

वहीं इसके अलावा सुशील कुमार ने कहा कि कोर्ट में चल रहे मामले को लेकर आयोग का पहले ही कहना था कि यह मामला आरक्षण तय करने वाले सरकारी विभाग और जांचकर्ताओं के बीच का है। इसमें राज्य निर्वाचन आयोग पार्टी नहीं है। इस तरह से प्रदेश में इस वक्त आचार संहिता लगी हुई है, जो कि राज्य निर्वाचन आयोग ही हटाने का अधिकार रखता है. इसे कोर्ट के आदेशों से नहीं हटाया जा सकता है।