हमारे किसी भी अमल से किसी को तकलीफ न होः डॉ. फारूक
तस्मिया में इस्तकबाल-ए-रमज़ान का 25 वां कार्यक्रम आयोजित
देहरादून। Ramadan gives an opportunity to improve the society इंसान का जिस्म मिट्टी और रूह से मिल कर बना हैं, जिस्म की खुराक मिट्टी से पैदा की जाती है और रूह की गिजा इबादत हैं, रमज़ान समाज को बेहतर बनाने का अवसर प्रदान करता हैं। यह बात सोमवार को तस्मिया कुरआन संग्राहलीय में आयोजित 25 वें इस्तकबाल-ए-रमज़ान के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे मुफ्ती राशिद मजाहिरी नदवी ने कही।
तस्मिया कुरआन संग्राहलीय में ‘माह-ए-रमज़ान और हमारी जिम्मेदायिां’ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिस की शुरूआत कारी अहसान की तिलावत और सय्यद फर्रूख उर्फ शहजादे की हम्द से हुई। मुफ्ती राशिद मजाहिरी नदवी ने कहा कि रमज़ान का पवित्र महीना समाज में फैली बुराईयों को समाप्त करने का बेहतरीन अवसर प्रदान करता है, हमारी मसाजिद दीन के मरकज हैं, इन का उपयोग समाज सुधार के लिये भी किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. एस फारूक ने कहा की हमारे किसी अमल से किसी को भी तकलीफ नही होनी चाहिए। उन्होनें कहा कि 23 व 24 मार्च को कुरआन संग्राहलीय में कुरआन प्रदर्शनी लगेगी। मुफ्ती वसी उल्लाह कासमी ने रमज़ान की फजीलत पर रोशनी डालते हुए ‘माह-ए-रमज़ान और हमारी जिम्मेदायिां’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। मौलाना रिसालिद्दीन हक्कानी ने रमज़ान का पैगाम विषय पर विस्तृत चर्चा की।
माईक के उपयोग और तरावीह के संबंध में कई महत्वपूण जानकारी साझा की। कार्यक्रम का संचालन मुफ्ति जिया उलहक ने किया, इस मौके पर डॉ. सय्यद फैसल, मुफ्ती नाजिम अशरफ, कारी रागिब, कारी इरफान, मौलाना मेहताब आदि मौजूद रहे।
रक्तदान करने और गुलकोज लगवाने से रोजा नही टूटताः मुफ्ती सलीम
‘माह-ए-रमज़ान और हमारी जिम्मेदायिां’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में काज़ी दारूल क़ज़ा मुफ्ती सलीम अहमद क़ासमी ने मसाइल-ए-रोजा और तरावीह के संबंध में कहा की अल्लाह रमजान की कदर करने की तौफिक अता फरमाए। उन्होनें कहा कि अल्लाह ने फरमाया हैं की रोजा मेरे लिए हैं और में ही रोजे का बदला दूंगा।
कहा कि चांद देख कर रोजा रखना शुरू करे और चांद देख कर ही ईद मनाई जाए, कहा कि रोजे की हालत में रक्तदान करने और गुलकोज लगवाने से रोजा नही टूटता है, खुद से उल्टी होने से भी रोजा नही टूटता, अगर कोई जान कर उल्टी करे तो रोजा जाता रहता है। बगैर सेहरी के भी रोजा हो जाता हैं।
आंख में दवाई डाली जा सकती हैं, मगर नाक और कान में दवाई डालने से रोजा फासिद हो जाता हैं। उन्होनें कहा कि इन्हिलर के इस्तमाल से रोजा जाता रहता हैं, मगर इन्सुलिन लेने से रोजा नही टूटता।