सिलक्यारा टनल हादसे के रेस्क्यू ऑपरेशन में खर्च हुए 100 करोड़ वसूल नहीं कर पाई सरकार : दसौनी

सिलक्यारा टनल हादसे के रेस्क्यू ऑपरेशन में खर्च हुए 100 करोड़ वसूल नहीं कर पाई सरकार : दसौनी

देहरादून। rescue operation of Silkyara tunnel accident पिछले साल यानी की 2023 नवंबर में जिस कंपनी की लापरवाही की वजह से सिल्कयारा टनल हादसा हुआ उसके सात महीने बीत जाने के बाद भी रेस्क्यू ऑपरेशन पर खर्च हुए 100 करोड रुपए वसूल नहीं किए जा सके हैं, इससे सरकार और नवयुग कंपनी के बीच की सांठ गांठ समझी जा सकती है, ये कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का।

गौरतलब है कि 5 दिसंबर 2023 को एनएचआईडीसीएल (नेशनल हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) के निदेशक अंशु मनीष खलखो की और से एक बयान जारी किया गया था जिसमें रेस्क्यू ऑपरेशन में हुए खर्च की राशि कंस्ट्रक्शन कंपनी की और से दिए जाने का वादा किया गया था।

दसौनी ने कहा की कई विभागों की और से रेस्क्यू ऑपरेशन पर खर्च 100 करोड़ से अधिक के बिल कंपनी को जनवरी 2024 को भेज दिए गए थे, मगर आज तक एक पाई भी कंपनी ने भुगतान नहीं किया और अब कंपनी ने साफ तौर पर भुगतान करने से मना कर दिया है। एक आरटीआई के मुताबिक करीब 92 लाख एनएचआईडीसीएल के, 5.49 करोड़ एनईसीएल और राज्य के 13 विभागों के करीब 65.41 लाख रुपए इस रेस्क्यू ऑपरेशन में खर्च हुए हैं।

एनएचआईडीसीएल को सिल्कयारा व डंडालगांव के बीच 25 किलोमीटर की दूरी खत्म करने के लिए 4.859 किलोमीटर लंबी इस सुरंग के निर्माण का ठेका 1383.78 करोड रुपए में दिया था, मगर एनएचआईडीसीएल ने नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को यही ठेका जून 2018 में 853.79 करोड़ में दे दिया।

गरिमा ने यह भी कहा कि नवयुगा कंपनी या एनएचआईडीसीएल पर कठोर कारवाही तो एक तरफ इन दोनों का उत्तराखंड सरकार आज तक बाल बांका भी नहीं कर पाई है इससे सरकार और इस कंपनी के बीच में सांठ गांठ कितने अंदर तक है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है या फिर हो सकता है सरकार किसी और अनहोनी का इंतजार कर रही हो।

गरिमा ने बताया कि इंटरनेशनल टनलिंग और अंडरग्राउंड स्पेस संगठन के अध्यक्ष, बैरिस्टर, साइंटिस्ट और इंजीनियरिंग प्रोफेसर अर्नाल्ड डिक्श ने रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी भूमिका निभाई थी और उन्होंने खुलासा किया है कि हादसे से पहले टनल में 21 बार भूस्खलन हो चुका था, जिस पर ध्यान नहीं दिया गया। दसौनी ने राज्य सरकार से सवाल करते हुए कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री ने सिल्कयारा टनल हादसे के तुरंत बाद यह घोषणा की थी कि प्रदेश के सभी निर्माणाधीन टनलों का ऑडिट होगा, मगर वह घोषणा भी फाइलों में ही दबकर रह गई।

नवयुवक कंपनी से रेस्क्यू ऑपरेशन के 100 करोड रुपए वसूले जाने हैं, सिल्कियारा टनल का ठेका मिलने के चार महीने बाद ही उस नवयुगा कंपनी पर 26 अक्टूबर 2018 को आयकर छापे पड़े और 6 महीने बाद इसने 19 अप्रैल 2019 को 30 करोड रुपए के चुनावी बांड भाजपा को दिए, 2020 के मध्य में नवयुग को सरकार की महत्वाकांक्षी ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लिंक परियोजना भी मिल गई और 10 अक्टूबर 2022 तक इस कंपनी ने कुल 55 करोड़ के चुनावी बांड भाजपा को दे दिए थे।

नवयुग ने भी तीन अन्य कंपनियों श्री साईं कंस्ट्रक्शन, नवदुर्गा और पीबी चड्ढा को मजदूरों का ठेका दे दिया। तय हुआ की टनल एस्केप पैसेज और एप्रोच रोड 8 जुलाई 2022 तक बन जाएंगे, जुलाई 2018 में काम शुरू हुआ लेकिन अब तक 56 प्रतिशत ही काम हो पाया है अब तो इसकी डेडलाइन मई 2024 भी गुजर चुकी है।