वक्फ कानून पर तत्काल रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

Supreme Court refuses to put immediate stay on Waqf law

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दो घंटे सुनवाई हुई। इस कानून के खिलाफ 100 से ज्यादा याचिकाएं लगाई गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन पर केंद्र से जवाब मांगा है, मगर कोर्ट ने कानून के लागू होने पर तत्काल रोक नहीं लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के विरोध में देशभर में हो रही हिंसा पर चिंता जताई। इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हिंसा का इस्तेमाल दबाव डालने के लिए किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि हम इस पर फैसला करेंगे।

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ कानून के तहत बोर्ड में अब हिंदुओं को भी शामिल किया जाएगा। यह अधिकारों का हनन है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है। हिंदुओं के दान कानून के मुताबिक, कोई भी बाहरी बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता है।

सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं। वहीं कानून के खिलाफ कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह दलीलें रख रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट अब गुरुवार 2 बजे सुनवाई करेगा। सुनवाई में अपीलकर्ताओं ने वक्फ बोर्ड बनाने, पुरानी वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन, बोर्ड मेंबर्स में गैर-मुस्लिम और विवादों के निपटारों को लेकर मुख्य दलीलें दीं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है।

हिंदुओं के दान कानून के मुताबिक, कोई भी बाहरी बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता है। वक्फ प्रॉपर्टी है या नहीं है, इसका फैसला अदालत को क्यों नहीं करने देते। उल्लेखनीय है कि संसद से 4 अप्रैल को पारित हुए वक्फ संशोधन बिल को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। सरकार ने 8 अप्रैल से अधिनियम के लागू होने की अधिसूचना जारी की। तब से इसका लगातार विरोध हो रहा है।

1. वक्फ बोर्ड बनाने की प्रक्रियाः- अपीलकर्ता कपिल सिब्बल ने कहा, ‘हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं। सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले 5 सालों से इस्लाम को मान रहे हैं? इतना ही नहीं, राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं?’।

2. पुरानी वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन परः- सिब्बल ने कहा, यह इतना आसान नहीं है। वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब ये 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे। यहां समस्या है। केंद्र की ओर से तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ का रजिस्ट्रेशन हमेशा अनिवार्य रहेगा। 1995 के कानून में भी ये जरूरी था। सिब्बल साहब कह रहे हैं कि मुतवल्ली को जेल जाना पड़ेगा। अगर वक्फ का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो वह जेल जाएगा। यह 1995 से है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें है, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। सीजेआई ने केंद्र से पूछा कि ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर करेंगे। उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।

3. बोर्ड मेंबर्स में गैर-मुस्लिमः- सिब्बल ने कहा, ‘केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। आर्टिकल 26 कहता है कि सभी सदस्य मुस्लिम होंगे। यहां 22 में से 10 मुस्लिम हैं। अब कानून लागू होने के बाद से बिना वक्फ डीड के कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि इसमें क्या समस्या है? जस्टिस कुमार ने कहा, ‘हमें उदाहरण दीजिए। क्या तिरुपति बोर्ड में भी गैर-हिंदू हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान को हटाने पर केंद्र से जबाव मांगा। अदालत ने कहा कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बनी ज्यादातर मस्जिदों के पास बिक्री विलेख नहीं होंगे। इनका रजिस्ट्रेशन कैसे होगा। वक्फ बाय यूजर उस संपत्ति को कहा जाता है जिसे लंबे समय तक धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाए जाने के कारण वक्फ माना जाता है, भले ही उसके पास कोई औपचारिक दस्तावेज न हो। हालांकि, नए कानून में एक छूट दी गई है कि यह उन संपत्तियों पर लागू नहीं होगा जो विवादित हैं या सरकारी भूमि पर हैं। वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।

सिब्बल ने कहा- इस्लाम में विरासत मौत के बाद लागू होती है। ये लोग उससे पहले ही दखलंदाजी कर रहे हैं। यह कानून लागू होने के बाद जिन संपत्तियों की वक्फ के तौर पर पहचान हुई है, उन्हें वक्फ नहीं माना जाएगा। आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष है। यह सभी कम्युनिटी पर लागू होता है।