Tenth convocation ceremony of ICFAI University held
देहरादून। Tenth convocation ceremony of ICFAI University held उत्तराखंड के राज्यपाल ले.ज. (से.नि.) गुरमीत सिंह की मौजूदगी में इक्फाई विवि का दसवां दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ जिसमें राज्यपाल के हाथों मेधावी छात्रों को मैडल एवं डिग्रियां प्रदान की गई। विवि में इस वर्ष मैनेजमेंट, तकनीकि, कानून एवं बीएड में पढ़ाई पूरी कर चुके कुल 586 छात्रों को स्नातक एवं परास्नातक तथा 5 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधियाँ प्रदान की गईं।
दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड के राज्यपाल ने दस छात्रों को गोल्ड मेडल तथा नौ छात्रों को सिल्वर एवं ब्रॉन्ज़ मैडल से सम्मानित किया। उपाधियाँ वितरित करने के पश्चात् राज्यपाल ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए उन्हें उज्वल भविष्य के लिए बधाई दी।
Participated in the 10th convocation ceremony at ICFAI University, Dehradun. It was a pleasure to award degrees and medals to our talented students. Heartfelt congratulations to all the graduates, and my best wishes to them a bright and successful future.
India’s youth is its… pic.twitter.com/BMwYRHlzuK
— LT GENERAL GURMIT SINGH (Retd) (@LtGenGurmit) September 12, 2023
राज्यपाल ने छात्रों से कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें अमृतकाल में अपना भविष्य निर्मित करने का अवसर मिला है और आप युवा ही इस देश को विकास की नई ऊँचाइयाँ प्रदान करेंगे। अपने सम्बोधन के जरिये राज्यपाल श्री सिंह ने छात्रों को काफी प्रोत्साहित किया और उन्हें समाज के गरीबों एवं वंचितों को साथ लेकर चलने का सन्देश भी दिया।
राज्यपाल गुरमित सिंह ने गुरु गोबिंद सिंह का उद्धरण देते हुए छात्रों से कहा कि समाज में जरुरतमंद की भलाई करने में जो आत्म संतुष्टि मिलती है वह अतुलनीय है। विदित हो कि दीक्षांत समारोह में बड़ी संख्या में छात्राएं मौजूद थीं जिन्हें विभिन्न मैडल एवं डिग्रियों से नवाज़ा गया और राज्यपाल ने छात्राओं की प्रगति को रेखांकित करते हुए अपनी प्रसन्नता भी जाहिर की।
उन्होंने गति-प्रगति और शक्ति, तीन शब्दों के द्वारा देश के विकास में बेटियों के योगदान का जिक्र किया। राज्यपाल ने शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में इक्फ़ाई विवि द्वारा किये गए कार्यों की प्रशंसा की एवं रिसर्च शब्द की व्याख्या करते हुए बताया की बार- बार सर्च करके ही सत्य पर पंहुचा जा सकता है एवं कुछ नयी खोज की जा सकती है।
देश की उपलब्धियों की भी चर्चा की
राज्यपाल के सम्बोधन के दौरान पूरा सदन तालियों के गड़गड़ाहट से गूँजता रहा। सम्बोधन के दौरान राज्यपाल श्री सिंह ने चंद्रयान एवं जी 20 पर बात करते हुए देश की उपलब्धियों की भी चर्चा की। कड़ी सुरक्षा के बीच राज्यपाल महोदय की मौजूदगी ने विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच एक उत्साह का माहौल पैदा किया।
राज्यपाल ने छात्रों में जोश भरने के साथ- साथ उन्हें गुदगुदाने का मौका भी दिया। उन्होंने विवि के कुलाधिपति डॉ उदय देसाई के नाम का जिक्र करते हुए कहा कि आपके चांसलर के नाम में भी ए आई आता है जिससे विवि का तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में योगदान का पता चलता है। राज्यपाल के इन शब्दों को सुनकर छात्र खिलखिला उठे।
समारोह में कुलाधिपति डॉ उदय बी. देसाई ने मौजूद सभी छात्रों एवं शोधार्थियों को सम्बोधित किया। डॉ देसाई ने सम्बोधित करते हुए कहा कि छात्रों के लिए डिग्री प्राप्त करने के बाद बाहरी दुनियाँ इन्तजार कर रही है जोकि पूरी तरीके से प्रतियोगिता पर आधारित है और छात्रों को जीवन में सफल होने के लिए साहसिक होना आवश्यक है।
कुलाधिपति डॉ. देसाई ने डिग्री पूरी कर व्यावसायिक दुनियाँ में प्रवेश कर रहे छात्रों को पर्यावरण के प्रति सचेत रहने का भी आवाहन किया एवं कुलाधिपति की पर्यावरण के प्रति इस चिंता का ज़िक्र राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में भी किया।
दीक्षांत समारोह की शुरुआत विवि के कुलपति डॉ राम करन सिंह के सम्बोधन के साथ हुई जिसमें उन्होंने छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनायें दी। डॉ. राम करण सिंह ने अपने सम्बोधन में इक्फ़ाई विवि द्वारा शिक्षा, शोध एवं सामाजिक क्षेत्र में किये गए कार्यों के बारे जानकरी दी। डॉ सिंह ने बताया कि इक्फ़ाई विवि के द्वारा कैदियों में शिक्षा के प्रति जागरूकता लाने हेतु सुद्धोवाला जेल में एक लाइब्रेरी स्थापित की गई है।
समारोह के अंत में विवि के रजिस्ट्रार डॉ रमेश चंद्र रमोला ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित कर माननीय राज्यपाल महोदय के प्रति आभार व्यक्त किया। डॉ रमोला ने कहा कि विश्वविद्यालय के सैंकड़ों छात्र राज्यपाल के हाथों डिग्री प्राप्त करने के अवसर को पूरी उम्र याद रखेंगे एवं गौरान्वित महसूस करेंगे।
दीक्षांत समारोह में इक्फ़ाई विवि में विभिन्न विभागों के डीन डॉ. तपन कुमार चंदोला, डॉ शांतनु राय , डॉ मीना भंडारी एवं डॉ संजीव कुमार सहित सैकड़ों की संख्या में प्रोफेसर एवं छात्र मौजूद रहे।